इस देवी की पूजा करने से डरती है सुहागन स्त्रियां, इसके पीछे है भयंकर कथा

देवी पार्वती की पूजा हर सुहागन स्त्री अपने सुहाग की रक्षा और सौभाग्य की वृद्धि के लिए करती है पर देवी पर्वती का एक ऐसा स्वरूप भी है जिसकी पूजा करने से सुहागन स्त्रियां डरती हैं। इसके पीछे एक भयंकर कारण है। वास्तव में देवी पार्वती इस रूप में विधवा स्त्री जैसी दिखती है और वैधव्य की प्रतीक मानी जाती है।
सुहाग पर वैधव्य का प्रभाव ना हो इसलिए सुहागन स्त्रियां उनकी पूजा नहीं करती हैं परंतु इनका दर्शन दूर से करती हैं।जेठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को इनका परागटय माना जाता है। देवी पार्वती का यह स्वरूप धूमावती के नाम से प्रसिद्ध है। देवी पार्वती किस लिए सुहागन से विधवा बनी, इन्हें धूमावती क्यों कहा जाता है, इसके पीछे अजब-गजब कथा है।
एक बार देवी पार्वती को खूब भूख लगी और उन्होंने भगवान शिव के पास से भोजन मंगाया। धीरे-धीरे समय बीतने लगा परंतु भोजन की व्यवस्था नहीं हो पाई, जिससे भूख से व्याकुल पार्वती जी ने शिवजी को ही निगल लिया। शिव लोप होते ही पार्वती जी का स्वरूप विधवा जैसा हो गया।भगवान शंकर में रहे हुए विष के कारण देवी पार्वती का शरीर धुआं जैसा हो गया। देवी पार्वती का यह स्वरूप बहुत ही विकृत और शृंगार बगैर का दिखने लगा, तब भोलेनाथ ने कहा था कि आज से आप देवी धूमावती के नाम से प्रसिद्ध होंगी और आपकी इसी नाम से पूजा की जाएगी।
माता धूमावती का यह रूप अत्यंत भयंकर है और यह रूप शत्रुओं का संहार करता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार शंकर भगवान को खा जाने के कारण माता पार्वती विधवा हो गई। इसी कारण माता धूमावती का यह स्वरूप विधवा जैसा है। इस स्वरूप में माता जी के केश बिखरे हुए हैं।

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