चाचा-भतीजे में खत्म हुई सारी कड़वाहट, शिवपाल सिंह ने आखिलेश यादव को लिखा पत्र


अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल सिंह के बीच काफी समय से चल रहे सियासी घमासान से हर कोई वाकिफ है. लेकिन इसके परे भी दोनों में एक-दूसरे के लिए अभी भी प्रेम-भाव बचा है इसका अंदाज हाल ही के वाक्ये से लगाया जा सकता है. दरअसल समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर ही शिवपाल यादव की सदस्यता खत्म करने वाली चिट्ठी पर रोक लगी है. ऐसे में लगता है कि शिवपाल यादव के अंदर भी अपने भतीजे के लिए पुराना प्यार थोड़ा सा फिर जाग गया है. अब भई अगर शिवपाल थोड़े से भतीजे कि लिए पिघल भी गए हैं तो इसमें बुरा क्या है, क्योंकि भतीजे अखिलेश (Akhilesh Yadav) की वजह से ही शिवपाल (Shivpal Yadav) की सदस्यता बच पाई है.


अखिलेश के इस फैसले पर अब प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल ने भी उन्हें चिट्ठी लिखकर धन्यवाद उनका आभार प्रकट किया है. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि दोनों के बीच काफी समय से घुली कड़वाहट को कम करने का एक और कदम दोनों की तरफ से बढ़ाया जा चुका है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शिवपाल जो चिट्ठी भेजी है, उसमें उन्होंने भतीजे अखिलेश यादव के नेतृत्व की काफी तारीफ भी की है.ये चिट्ठी शिवपाल की तरफ से अखिलेश को 29 मई के दिन लिखी गई थी. जिसमें उन्होंने लिखा है कि, निश्चय ही यह मात्र एक राजनीतिक परिघटना नहीं है, बल्कि आपके इस तरह के स्पष्ट, सार्थक व सकारात्मक हस्तक्षेप से राजनीतिक परीधि में आपके नेतृत्व में एक नव राजनीतिक विकल्प व नवाक्षर का जन्म होगा.


बता दें कि अखिलेश के आदेश पर एसपी ने शिवपाल की सदस्यता रद्द करने वाली याचिका को वापस ले लिया है. तो वहीं शिवपाल ने भतीजे अखिलेश यादव को चिट्ठी के जरिए धन्यवाद कहा है. दरअसल उत्तर प्रदेश विधानसभा के स्पीकर हृदय नारायण दीक्षित के समक्ष समाजवादी पार्टी के नेता रामगोविंद चौधरी की तरफ से जो पत्र पेश किया गया था, उसे उन्होंने स्वीकर कर लिया था. इसके बाद समाजवादी पार्टी के नेता रामगोविंद चौधरी ने 4 सितंबर, 2019 को दल परिर्वतन के तहत शिवपाल यादव की विधानसभा से सदस्यता खत्म करने की याचिका दायर की थी. जिसके बाद चौधरी की तरफ से 23 मार्च को फिर से एक प्रार्थना पत्र देकर याचिका वापस करने की अपील की गई थी. इस पत्र में लिखा गया था कि याचिका पेश करते समय कई जरूरी दस्तावेज और सबूत नहीं सौंपे गए थे, इसिए याचिका वापस कर दी जाए.

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