जानिए, योगी और ऋषि-मनु लोग कभी विवाह क्यों नहीं करते हैं?

योगियों और ऋषियों-मुनियों के बारे में ज़्यादातर लोग ग़लत धारणाओं के शिकार रहते हैं। इस मामले में आपको जितनी मुँह उतनी बातें सुनने को मिलती होंगी। जी हाँ, आपको बता दें कि योगियों और ऋषियों-मुनियों के बारे में ज़्यादातर लोगों का ये मानना है कि उनका स्त्रियों से कोई लेना-देना नहीं है, जबकि यह एक बेहूदी धारणा है क्योंकि अतीत में जितनी भी अति महान संताने पैदा हुयी हैं वो ज़्यादातर योगियों और ऋषियों-मुनियों के वीर्य का ही प्रताप रही हैं। इस प्रकार, यह समझने वाली बात हैं कि योगियों और ऋषियों-मुनियों का बिना स्त्री संसर्ग के यह यह कैसे संभव हुआ होगा।
ऐसे में अब इन मूर्खों को भला कौन समझाये कि ऋषि-मुनि और योगी विवाह इसलिए नहीं करते थे क्योंकि इनकी दाल किसी साधारण स्त्री से नहीं गल सकती, क्योंकि आम स्त्री में न तो दैहिक बल इतना होता है, न तो तपोबल इतना होता है और न ही मानसिक बल इतना होता है कि वो किसी महात्मा के साथ जीवन यापन कर सके।
इस प्रकार, जब योगियों और ऋषियों-मुनियों को योग्य स्त्रियाँ नहीं मिलीं तो उन्होंने एकाकी जीवन जीना श्रेष्ठ समझा और वो एकांत में रहने लगे। लेकिन बाद में लोगों ने इसे परंपरा समझ लिया और ये धारणा बना ली कि योगीजन विवाह और संसर्ग से दूर रहते हैं, जबकि सवाल श्रेष्ठ विवाह और श्रेष्ठ संसर्ग का है।

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