वैज्ञानिकों का दावा 7 साल पहले ही एंट्री मार चुका था कोरोना वायरस

चेहरे पर शिकन है..जुबां खामोश है..दिल उदास है और कोरोना (coronavirus) का खौफ अपने चरम पर है। न महज भारत अपितु समस्त विश्व आज खौफ के साए में जीने पर मजबूर हो चुका है। कंबख्त इस कोरोना ने काफी कुछ बदलकर रख दिया है और न जाने कितने ही चीजों बदला जाना अभी बाकी है। लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमित मरीजों के ये आंकड़े सरकार के सहित समस्त मानवजाति के लिए चिंता का सबब बन चुके हैं। बहरहाल.. इसका तोड़ निकालने के लिए लगातार शोध का सिलसिला जारी है। अब इसी बीच शोध में एक हैरतअंगेज खुलासा हुआ है। जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि पूरी दुनिया में कोरोना वायरस 2013 में ही आ चुका था।  इस बाता का खुलासा कनाडा के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में खुद किया है। बताएंगे हम आपको इस शोध के बारे में अर्श से लेकर फर्श तक की  सारी बातें, लेकिन इससे पहले हम आपको उस ट्वीट के बारे में बताए चलते हैं, जो इस समय जमकर वायरल हो रहा है।

2013 में ही आ चुका था कोरोना 
यह महज एक ट्वीट नहीं है जो इस समय इंटरनेट की दुनिया में जमकर वायरल हो रहा है। यह ट्वीट काफी लोगों को हैरान करने के साथ-साथ परेशान भी कर रहा है। यह ट्वीट माइक्रो नाम के शख्स का है। यह ट्वीट 3 जून 2013 को  किया गया था। जिसमें कोरोना वायरस का जिक्र करते हुए माइक्रो ने लिखा था, ‘Corona virus….its coming’…काफी संख्या में लोगों को यह ट्वीट हैरान कर रहा है। अभी तक इसे ट्वीटर ने एडिट नहीं किया है। इस ट्वीट को 70 हजार बार से भी अधिक रीट्विट किया जा चुका है। अब ऐसे में सवाल यह है कि क्या माइक्रो ने आज से सात साल पहले ही कोरोना महामारी का अनुमान लगा लिया था।

कनाडा शोधकर्ताओं ने किया बड़ा खुलासा 
ऐसे वक्त में जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस को लेकर शोध का सिलसिला जारी है, तो वहीं दूसरी तरफ कनाडा के शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस को लेकर बड़ा खुलासा किया है। शोध में खुलासा हुआ है कि कोरोना वायरस 2013 से ही दुनिया में मौजूद था। लेकिन तब के और अब के कोरोना वायरस में जमीन आसमान का अंतर आ चुका है। शोध में यह खुलासा हुआ है कि 2013 के वायरस के जीनोम में और अब के जीनोम में काफी अंतर आ चुका है। यह 479 जीनोम सीक्वेंस के अध्ययन करने के बाद कहा गया है। कनाडा के केलगरी यूनिवर्सिटी के शोध करने वाले शोधकर्ताओं ने बताया है कि 23 दिसंबर 2013 से लेकर 20 मार्च 2020 तक कोरोना के जीनोम का अध्ययन किया गया है। अध्ययन करने के पीछे का उद्देश्य यह पता लगाना था कि वक्त के साथ कोरोना कितना बदला है और वर्तमान में जो माहामारी फैली है। उसके पीछे इसका क्या संबंध है।



अध्ययन में निकलकर सामने आई ये अहम बातें 
पहली बात: अध्ययन में यह निकलकर सामने आया कि जब यह वायरस अपना होस्ट बदलता है, तो यह काफी खतरनाक हो जाता है। शोध में यह खुलासा हुआ है कि यह वायरस अपना होस्ट बदलता है। शुरूआती दौर में जब यह वायरस जानवर में हो तो यह हो सकता है कि जानवर इससेे संक्रमित न हो, लेकिन जब यह होस्ट बदलता है…यानी की जब यह जानवर से इंसान में आता है, तो यह काफी खतरनाक  हो सकता है।

दूसरी बात: वहीं शोधकर्ताओं ने अपने शोध में खुलासा किया है कि वक्त से साथ चमगादड़ का इम्यून सिस्टम काफी मजबूत हो चुका है। इसलिए अब उन्हें कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। लेकिन इंसानों का इम्यून सिस्टम अभी इतना मजबूत नहीं है। इंसान अभी इस वायरस से लड़ने के लिए तैयार नहीं है। इंसान इसके मुकाबले काफी कमजोर पड़ जा रहे हैं और काफी संख्या में संक्रमित हो रहे हैं।
तीसरी बात: इसके साथ ही बेड कोरोना को लेकर भी बड़ा खुलासा हुआ है। बेड कोरोना वायरस का मतलब हुआ है..जिसने चमगादड़ के द्वारा संक्रमण फैलाया है। कोरोना के 16 अलग -अलग रूप मिले हैं।
चौथी बात: शोध में यह खुलासा हुआ है। यह वायरस जानवरों में मौजूद थे और वक्त के साथ अब यह काफी मजबूत हो चुके हैं।
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