नवजात शिशु को भरपूर नींद दिलाने के लिए इन बातों का रखें ध्यान

नवजात शिशु अक्सर सोते समय एक से दो घंटे में जग जाते हैं, क्योंकि उनमे अभी यह क्षमता नहीं होती कि वह अपना पेट इतना भर ले कि तीन से चार घंटे तक आराम से सो सकें। वह सिर्फ पेट भरने के लिए दूध पर निर्भर करते हैं और ब्रेस्टफीडिंग के समय थोड़ा सा ही दूध पीने के बाद उनकी आंख लग जाती है उनका पेट खाली होता है जिसकी वजह से वह बार बार भूख के कारण जगते है। नवजात शिशु को दिन और रात का समय समझने में एक से दो माह का समय लग जाता हैं।
यह तो नॉर्मल है ऐसा हर बच्चे के साथ होता है पर फिर भी आप अपने बच्चे कि कुछ हैबिट में ध्यान रखकर उसे अच्छी नींद लेने में मदद कर सकते हैं।जब आप अपने बच्चे को दूध पिला रहे हो तो दूध पिलाते समय वह पांच से दस मिनट के बाद सोने लगता है। तब आप उसके पैर के तलवे को उंगली को से हल्का सा मारकर उसे फिर से जगाए और कोशिश करें कि वह थोड़ा दूध और अधिक पी ले जितनी अधिक मात्रा मे वह दूध पी लेंगे उतनी ही अधिक समय तक उन्हें उनकी नींद बनी रहेगी। बच्चे को हमेशा नरम तकीये में सुलाए और बाईं तरफ करवट लेकर सुलाए बच्चे के रूम का टेंपरेचर ना ज्यादा गर्म होना चाहिये ना ठंडा अनुकूल वातावरण में उन्हे सुलाये।
शिशु को गोद में रखकर सुलाने की आदत नहीं डालें। दूध पिलाने के बाद उन्हीं गोद से नीचे बिस्तर पर आराम से सूलाए शिशु की रात को सोने से पहले अच्छी तरह से मालिश करें। क्योंकि पूरा दिन लेटे रहने की वजह से उनके हाथ पैर में दर्द होता है। वह बता नहीं सकती पैर दर्द होने जिसकी वजह से उनकी नींद खुलती है। अगर आप अच्छे से मालिश करके और पूरी तरह से कवर करके सुलाएंगे। तो उनके सोने की समय सीमा थोड़ी बड़ जाएगी
इस तरह से छोटी बातों का ध्यान रखकर आप बच्चों की नींद की समय सीमा को बढ़ा सकते हैं क्योंकि जितने अच्छे से बच्चा सोए का उसका विकास उतनी ही अच्छी तरीके से होगा। तो इन कुछ बातों का ध्यान में रखकर आप अपने बच्चे की सही विकास और सही ग्रोथ को भरपूर नींद देकर बढ़ा सकते हैं।

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