हम बात कर रहे है आजादी के बाद के उस दौर की जब आजाद भारत को अपना एक सेना प्रमुख चाहिए था जो की भारतीय सेना का संचालन कर सके l इसके लिए उस समय भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने एक तत्कालीन मीटिंग बुलाई l जिसमे देश के तमाम सेना अधिकारी और मंत्री मौजूद थे l और बात हो रही थी की किसको भारतीय सेना का जनरल बनाया जाये l
नेहरू जी का प्रस्ताव था की भारतीय सेना का प्रमुख किसी अंग्रेज़ को बनाया जाये क्योंकि भारत मे कोई भी ऐसा आदमी नहीं है जो की भारतीय सेना का संचालन कर सके और जिसके पास इस काम कर तज़ुर्बा हो हो l पंडित जी की यह बात सुन सभी ने उनकी हा मे हा मिलाई लेकिन तभी एक सैन्य अधिकारी ने यह बात मानने से मना कर दिया और वह खड़ा होकर बोला अगर ऐसी बात है तो हम प्रधानमंत्री भी किसी अंग्रेज़ को ही बना देते है क्योंकि हमारे पास तो देश चलाने कर भी तज़ुर्बा नहीं है l
उसकी यह बात सुन सभी मीटिंग मे मौजूद सभी लोग हैरान रह गए l यह आदमी कोई और नहीं बल्कि ठाकुर नाथू सिंह राठौड़ थे जो की एक सैन्य अधिकारी थे l उनकी यह बात सुन नेहरू जी ने उनको भारतीय सेना का जनरल बनने के लिए बोला l लेकिन बिना किसी लालच नाथू सिंह राठौड़ ने यह पद लेने से मना कर दिया और वह बोले की आप भारतीय सेना का जनरल के एम करियप्पा को नियुक्त किया जाये क्योंकि वो मुझसे भी ज्यादा अनुभवी है l
उनकी बात मान नेहरू जी ने भारतीय सेना के जनरल के पद पर के एम करियप्पा को नियुक्त किया और ठाकुर नाथू सिंह राठौड़ को लेफ्टिनेंट जनरल नियुक्त किया l इस तरह भारतीय आर्मी को अपना पहला जनरल और लेफ्टिनेंट जनरल मिला जिसमे नाथू सिंह राठौड़ का बहुत बड़ा हाथ है l
Post a Comment