आज समंदर के किनारे अपने बंगले मन्नत में जब कभी तन्हा होते हैं शाहरुख, तो संघर्ष के वो जोखिम भरे दिन आज भी दिल धड़का जाती है। मुंबई ने उन्हें अपनाने में भले ही ज्यादा देर नहीं की, लेकिन इम्तिहान भी क्या खूब लिए। आज मन्नत ही नहीं, पूरी मुंबई ही शाहरुख के लिए जन्नत है। वो शहर जिसने इस हीरो के सपने को जमीन दी। जुड़ाव इतना कि शाहरुख अक्सर तहेदिल से आहत होते हैं। तब जब मजहब के नाम पर उनकी किसी राय का अपमान होता है या कुछ कट्टरपंथी संगठन और दक्षिणपंथी राजनीतिक दल उन्हें वतन से बेदखल करने की बात करते हैं।
विवादों से पुराना नाता
इन बातों से शाहरुख का यकीन नहीं डोलता। अपने तेवर में, अपने ह्यूमर में अपनी बात बेबाकी से रखते हैं, चाहे कोई नाराज हो या उनसे अदावत मोल ले। ये हीरो देश और बदलते समाज की हालत पर मौन नहीं रहता, बल्कि दिल के आइने में जो तस्वीर बनती है, वो बयां कर जाता है और अक्सर विवादों में भी घिरता है। अपने पठान होने पर शाहरुख को गर्व होता है, मगर मजहब नहीं, उस पठानी फितरत के लिहाज से, जिसके लिए ये कौम पूरी दुनिया में मशहूर है। आत्म-सम्मान को लेकर समझौता वो किसी भी हाल में नहीं करते। चाहे कुछ साल पहले अमेरिका यात्रा के दौरान एयरपोर्ट पर पैटिंग और जांच पड़ताल हो या आईपीएल मैच के दौरान वानखेड़े स्टेडिम में कुछ अधिकारियों कर्मचारियों से झड़प हो।
दोस्तों से भी अनबन
इस फितरत को लेकर शाहरुख सलमान खान जैसे जिगरी दोस्त से भी बरसों की अनबन झेल चुके हैं, मगर जज्बा इस दोस्ती को फिर से जिंदा करन की भी रखते हैं। इसकी एक वजह है- औरों संग हंसी मजाक के साथ खुद पर हंसने की काबिलियत। शाहरुख का ये अंदाज है, मगर ऐसी बातों से इस हीरो के चाहने वाले कम नहीं होते दिखते। शाहरुख की फिल्में चाहें बॉक्स ऑफिस पर जितना कारोबार करें, उसकी सराहना हो या आलोचना. शाहरुख आज दुनिया के सबसे बड़े स्टार्स में गिने जाते हैं- जैसे सबको उसी अंदाज में स्वीकार हैं- हंसते हंसाते, और चुटकिया लेतें।
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