मुस्लिमो का केंद्र बिंदु है यह धार्मिक स्थल, जिसकी एक झलक बदल देती है किस्मत



सऊदी अरब की धरती पर इस्लाम का जन्म हुआ, इसलिए मक्का और मदीना जैसे पवित्र मुस्लिम तीर्थस्थल उस देश की थाती हैं। मक्का में पवित्र काबा है, जिसकी परिक्रमा कर हर मुसलमान धन्य हो जाता है। यही वह स्थान है जहां हज यात्रा सम्पन्न होती है। इस्लामी तारीख के अनुसार 10 जिलहज को दुनिया के कोने-कोने से मुसलमान इस पवित्र स्थान पर पहुंचते हैं, जिसे "ईदुल अजहा' कहा जाता है।

जैसे सभी नागरिकों को कन्टोन्मेंट एरिया में जाने की अनुमति नहीं होती वैसे ही हर देश में कुछ न कुछ ऐेसे क्षेत्र अवश्य होते हैं जहाँ सामान्य जनता को जाने की इजाज़त नहीं होती। सैनिक छावनी में केवल वही लोग जा सकते हैं जो सेना अथवा प्रतिरक्षा विभाग से जुड़े हों। इसी प्रकार इस्लाम के दो नगर मक्का और मदीना किसी सैनिक छावनी के समान महत्वपूर्ण और पवित्र हैं, इन नगरों में प्रवेश करने का उन्हें ही अधिकार है जो इस्लाम में विश्वास रखते हो।

मक्का की आधारशिला आज से लगभग 1400 वर्ष पूर्व मोहम्मद पैगंबर साहब के द्वारा की गई थी। यह बाहर से देखने में एक चैकोर कमरानुमा इमारत दिखाई देती है जिस पर काला लिहाफ चढ़ा हुआ है। इसके चारों तरफ मस्जिद बनी हुई है जिसमें हज के लिए आने वाले मुस्लिम जायरीन अल्लाह की इबादत करते हैं और अपने गुनाहों के लिए माफी मांगते हैं। मक्का में ही पैगंबर साहब के चरण चिन्ह भी मौजूद हैं।

इन्हें भक्तों के दर्शनार्थ रखा गया है। सभी वहां पर जाकर इनके दर्शन कर अपने आपको धन्य समझते हैं। इसके अतिरिक्त मक्का में एक काले रंग का पत्थर भी है, जिसे मुस्लिम चूमते हैं तथा मन्नत मांगते हैं। मक्का में ही एक कुआ भी है जिसका पानी कभी नहीं सूखता। जायरीनों के लिए चैबीसों घंटे इस कुएं से पानी निकाला जाता है। इस पानी को पवित्र मान कर इसे विभिन्न उपयोगों में लिया जाता है।

प्राचीन काल से ही मक्का धर्म तथा व्यापार का केंद्र रहा है। यह एक सँकरी, बलुई तथा अनुपजाऊ घाटी में बसा है, जहाँ वर्षा कभी-कभी ही होती है। नगर का खर्च यात्रियों से प्राप्त कर द्वारा पूरा किया जाता है। यहाँ पत्थरों से निर्मित एक विशाल मस्जिद है, जिसके मध्य में ग्रेनाइट पत्थर से बना आयताकार काबा स्थित है, जो 40 फुट लंबा तथा 33 फुट चैड़ा है। इसमें कोई खिड़की नहीं है, बल्कि एक दरवाजा है। काबा के पूर्वी कोने में जमीन से लगभग पाँच फुट की ऊँचाई पर पवित्र काला पत्थर स्थित है। मुस्लिम यात्री यहाँ आकर काबा के सात चक्कर लगाते हैं उसके बाद इसे चूँमते हैं। 

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