एक ऐसा चमत्कारी मंदिर यहां भगवान की मूर्ति को भी आता है पसीना, नाम जानकर यकीन नहीं होगा


भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जहां पर हमेशा ही दर्शन करने वालों का तांता लगा रहता है। ऐसे ही मंदिरों में आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में बना तिरुपति बालाजी का मंदिर भी शुमार है। इस मंदिर की अपनी ही महानता है और समुद्र से 3200 फीट की उंचाई पर स्थित इस मंदिर में हमेशा ही दर्शन करने वालों हुजूम देखने को मिलता है। ये मंदिर श्री वेंकटेश्वर भगवान का है। तिरुपति बालाजी को सभी वेंकटेश्वर, श्रीनिवास और गोविंदा के नाम से भी जानते हैं। इस मंदिर को सबसे अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है और यहां हर वर्ग के लोग बालाजी के दर्शन करने आते हैं। यहां फिल्मी सितारों से लेकर राजनेता आदि सभी दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं विश्वास हैं। जिसकी वजह से यह इतना प्रसिद्ध है।


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तमिल के शुरूआती साहित्य में तिरुपति को त्रिवेंद्रम कहा गया है। तिरुपति से जुड़े इतिहास को लेकर अभी भी इतिहासकारों में मतभेद हैं। लेकिन यह बात साफ नहीं है कि 5वीं शताब्दी तक यह धार्मिक केंद्र के रूप में स्थापित हुआ था या नहीं। लाग कहते हैं कि चोल, होयसल और विजयनगर के राजाओं का आर्थिक रूप से इस मंदिर के निर्माण में खास योगदान था। 9वीं शताब्दी में कांचीपुरम के पल्लव शासकों ने इस जगह पर अपना अधिकार कर लिया था। 15वीं शताब्दी के बाद इस मंदिर की विशेष रूप से प्रसिद्धि होने लगी। 15वीं शताब्दी में महान तिरुपति बालाजी मंदिर को प्रसिद्धि मिली l चलिए जानते है तिरुपति बालाजी मंदिर के पांच रहस्य l


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1. मूर्ति के बाल - कहा जाता है कि मंदिर भगवान वेंकटेश्‍वर स्‍वामी की मूर्ति पर लगे बाल असली हैं। ये कभी उलझते नहीं हैं और हमेशा मुलायम रहते हैं। मान्‍यता है कि ऐसा इसलिए है कि यहां भगवान खुद विराजते हैं।


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2. समुद्र की लहरों की आवाज - यहां जाने वाले बताते हैं कि भगवान वेंकटेश की मूर्ति पर कान लगाकर सुनने पर समुद्र की लहरों की ध्‍वनि सुनाई देती है। यही कारण है कि मंदिर में मूर्ति हमेशा नम रहती है।
3. सदैव जलता दीप - भगवान बालाजी के मंदिर में एक दीया सदैव जलता रहता है। इस दीए में न ही कभी तेल डाला जाता है और न ही कभी घी। कोई नहीं जानता कि वर्षों से जल रहे इस दीपक को कब और किसने जलाया था l


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4. मूर्ति की दिशा - जब आप भगवान बालाजी के गर्भ ग्रह में जाकर देखेंगे तो पाएंगे कि मूर्ति गर्भ गृह के मध्‍य में स्थित है। वहीं जब गर्भ गृह से बाहर आकर देखेंगे तो लगेगा कि मूर्ति दाईं ओर स्थित है।


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5. मूर्ति को भी आता है पसीना - वैसे तो भगवान बालाजी की प्रतिमा को एक विशेष प्रकार के चिकने पत्‍थर से बनी है, मगर यह पूरी तरह से जीवंत लगती है। यहां मंदिर के वातावरण को काफी ठंडा रखा जाता है। उसके बावजूद मान्‍यता है कि बालाजी को गर्मी लगती है कि उनके शरीर पर पसीने की बूंदें देखी जाती हैं और उनकी पीठ भी नम रहती है l

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