कठुआ के बकरवाल समुदाय की बेटी आसिफा
बानो को इंसाफ दिलाने के लिए पूरा देश जद्दोजहद में लगा हुआ है, और हर वह कोशिश
कर रहा है जिससे 8 साल की मासूम बच्ची आसिफा को इंसाफ मिल सके, और उसके कातिलों
को सजा मिल सके, लेकिन BJP के नेता चंद्रप्रकाश गंगा और लाल सिंह चौधरी ने यह मन बना लिया
है, कि वह आसिफा के
हत्यारों को इस केस से बचा कर ही छोड़ेंगे, और इस वजह से चंद्र प्रकाश गंगा और लाल
सिंह चौधरी 8 किलोमीटर लंबी रैली भी निकाल चुके हैं, जहां पर भारत
माता की जय और तिरंगा यात्रा भी कर चुके हैं, लेकिन अब जो BJP के नेताओं ने जो
खेला है वह अब इन से भी ऊपर उठकर खेला है।
आपको बता दें कि बीजेपी नेताओं और 8 आरोपियों की तरफ
से मांग की जा रही है कि उनका नारको टेस्ट किया जाए, लेकिन यहां पर चौंकाने वाली बात यह है, कि अगर इनका
नारको टेस्ट होता है, तो यहां पर इन हत्यारों के पूरे पूरे चांसेस हो जाते हैं कि यह
इस केस से बच के निकल जाए या बरी हो जाए या कम से कम सजा होगी, और आज हम आपको
इस नारको टेस्ट के बारे में सच बताने वाले हैं।
क्या होता है नारको टेस्ट
नारको टेस्ट एक ऐसा टेस्ट है, जिसे लोग एक सच
उगलने वाला केमिकल भी कहते हैं, नारको टेस्ट के दौरान सोडियम पेन्थाथोल नामक एक केमिकल को
इंजेक्ट किया जाता है आरोपी के शरीर में, और यह केमिकल किसी भी व्यक्ति को ऐसा
कर देता है की ना तो आदमी बेहोश होता है और ना होश में रहता है, यह केमिकल आदमी
की ऐसी हालत कर देता है, कि जैसे कोई आदमी किसी नशे में हो।
आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि अगर
किसी व्यक्ति पर सो प्रतिशत डाउट होता है, कि उसने कुछ नहीं किया है तो उस
व्यक्ति पर नारको टेस्ट किया जाता है, लेकिन इस केस में ऐसी सिचुएशन में
नारको टेस्ट की मांग करना अपने आप में एक अजीब है, और आपको बता दें कि इस केमिकल की
मात्रा अगर अपराधी के शरीर में थोड़ी सी ज्यादा हो जाती है तो वह आदमी सो जाता है, जिसके शरीर में
इस केमिकल को डाला गया है, और अगर वही इस केमिकल की मात्रा थोड़ी कम हो जाती है, तो इस केमिकल का
असर अच्छी तरह से नहीं होता है, और इस केस में नारको टेस्ट से यह पता नहीं लगाया जा सकता है, कि आरोपी सच बोल
रहा है या झूठ, और अगर आदमी के में शरीर मे इस केमिकल की मात्रा कम या ज्यादा
होती है, तो आदमी से पूछे
गए सवाल का जवाब वो अपने होश में दे सकता है, जिसकी वजह से आरोपी अपने गुनाहों से बच
सकते है नारको टेस्ट करवा कर, और इस नारको टेस्ट का एक जीता जागता सबूत है, आरुषि तलवार केस
जिसमें नारको टेस्ट के बाद भी यह नहीं पता चल पाया कि आरोपी को है।
वही कोर्ट की तरफ से अच्छी खबर यह भी
है, कि कोर्ट इस
नारको टेस्ट को मान्यता नहीं देती है, और कोर्ट इस नारको टेस्ट को एविडेंस के
तौर पर लेने के लिए तैयार नहीं है, लेकिन आज हमारे देश के कुछ ऐसे लोगों
की मानसिकता पता चलती है, जो 1 बच्चों को इंसाफ दिलाने के बजाय उस बच्ची के पीछे हाथ धो कर
पड़े हुए हैं, ताकि किसी प्रकार से इनकी राजनीति चमक जाए।
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