- हर छत्तीस वर्ष बाद हम उसी कलेंडर का दुबारा उपयोग कर सकते हैं।
- सितम्बर और दिसम्बर की पहली तारीख को हमेशा एक ही दिन होता है।
- मई, जून और अगस्त हमेशा अलग अलग दिनों से प्रारम्भ होते हैं।
- कोई भी शताब्दी बुद्ध, शुक्र या रविवार से नहीं प्रारम्भ होती।
- रोम के एक देवता जैनस के नाम पर जनवरी माह का नाम पड़ा।
- एक रोमन शब्द ‘फेबुरा’ (बलि चढ़ाई जाने वाली बकरी की खाल से बना हंटर) से फरवरी माह बना।
- मार्च माह का नाम युद्ध के देवता मार्स को समर्पित करने के लिए रखा गया।
- लैटिन भाषा के शब्द ओपेरियों (ओपेन) यानी खुलना से अप्रैल माह का नाम पड़ा।
- प्रसिद्ध रोमन देवता हरमेस की माँ माइया के नाम पर मई महीना पड़ा।
- महिलाओं की सुरक्षा करने वाली देवी जूनो को जून माह समर्पित है।
- रोम के सम्राट जूलियस सीजर के नाम पर जुलाई माह बना।
- एक अन्य सम्राट आक्टोवियन के भांजे अगस्टस के नाम पर अगस्त माह का नाम पड़ा। अक्टूबर स्वयं आक्टोवियन के नाम पर है।
- अन्य चार माह संख्याओं के नाम पर हैं। लैटिन भाषा के शब्द सैप्टम से सैप्टेम्बर यानी सितंबर माह बना। सैप्टम का अर्थ होता हैं सातवां। रोमन कलेंडर के अनुसार मार्च से वर्ष शुरू होता है।
- आक्टोवियन के अलावा आक्टो-ऐट यानी आठ से अक्टूबर, नोयम से नवंबर और देसेम-टेन यानी दस से दिसंबर
- क्रमशः दसवें, ग्यारहवें और बारहवें महीने हैं।
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